// आश्रम की प्रवृत्तियाँ //

आयुर्वेदिक दवाईयां

आयुर्वेद हमें हजारों वर्षों से स्वस्थ जीवन का मार्ग दिखा रहा है। प्राचीन भारत में आयुर्वेद को रोगों के उपचार एवं स्वस्थ जीवन शैली व्यतीत करने का सर्वोत्तम तरीकों में से एक माना जाता था। उसे एक व्यापक चिकित्सा विज्ञान माना जाता है।

आयुर्वेद को योग का "सिस्टर साइंस" भी कहा जाता है| आयुर्वेदिक उपचार में प्राकृतिक उपचार का मानक है जो बीमारियों को दूर करने के साथ साथ मानव शरीर एवं मस्तिष्क के विकास में भी सुधार करता हैं। आयुर्वेद में उपचार का मतलब केवल जप, तप, योग, प्राणायाम एवं तेलों से मालिश करना नहीं है, बल्कि स्वास्थ्य संबधित समस्याओं के मूल कारणों को जड़ से खत्म करना है।

आयुर्वेद का मूलभुत सिद्धांत है कि अपने जीवन में उत्तम स्वास्थ्य को प्राप्त करने एवं बनाए रखने के लिए, हमे अपनी भावनाओं पर नियंत्रण करना चाहिए, आहार लेने में सुधार करना चाहिए, योग का अभ्यास प्रतिदिन करना चाहिए एवं “प्राणायाम” (साँस लेने के व्यायाम), एवं जीवनशैली में बदलाव करना चाहिए।

आयुर्वेद के अनुसार हमारा शरीर पांच तत्वों (जल, पृथ्वी, आकाश, अग्नि एवं वायु) से मिलकर बना है। जिसमे उत्त्पन्न होने वाले रोग वात, पित्त एवं कफ इन पांच तत्वों के संयोजन से होते है |

आरोग्य साधना आश्रम में आयुर्वेदिक चिकित्सक है जो रोगी की प्रवृति का निरिक्षण करके जड़ी बूटियो से औषधि तैयार करते है | उन्हें ओषधि के साथ साथ योग एवं प्राणायाम का अभ्यास भी करवाते है | आश्रम का उद्देश्य ही है - " रोगमुक्त जीवन " |