वेद शिक्षा
- शिशु जब जन्म लेता है तो वह मां से पोषण पाकर वह बड़ा होता है, उसे परिवार से स्नेह एवं संस्कार दोनों मिलता है | उसके बाद शिक्षा की बारी आती है एवं तब वह विद्यालय में प्रवेश करता है |
- शिक्षा के साथ संस्कारों का होना भी आवश्यक है | बिना संस्कार शिक्षा अधूरी मानी जाती है | आरोग्य साधना आश्रम में बच्चों को हिन्दू संस्कृति से जुड़े संस्कारों की शिक्षा प्रदान की जाती है एवं साथ ही उसे व्यवहारिक ज्ञान से भी परिचय करवाया जाता है | अच्छी आदतों को जीवन में उतारने का प्रशिक्षण दिया जाता है जो बच्चों को संस्कारवान बनाती है |

- बालपन में ही उनको संस्कृत भाषा से परिचय करवाया जाता है, उसके बाद हमारे वेद, रामायण, महाभारत, भगवद गीता आदि वैदिक शिक्षा का परिचय करवाया जाता है, जिससे वह स्वयं का, समाज का एवं राष्ट्र का निर्माण कर सके | शिक्षा, संस्कार एवं अच्छी आदतों का मिश्रण ही समाज एवं राष्ट्र को प्रगति की ओर ले जाती हैं |
- आरोग्य साधना आश्रम में बच्चों को आत्मनिर्भरता एवं स्वयं सेवा के लिए प्रशिक्षित किया जाता है | अपनी दिनचर्या के सारे कार्य स्वयं करना चाहिए किसी पर भी निर्भर नहीं रहना चाहिए | क्योंकि आदर्श दिनचर्या स्वस्थ जीवन का नियम है |
- स्वस्थ एवं सात्विक जीवन जीने के नियमो का पालन सभी बच्चों को कराया जाता है क्योंकि देश का भविष्य आने वाली पीढ़ी पर निर्भर करता है तो इन कंधों को मजबूत बनाना पड़ेगा | हमारा प्रयास शिक्षा ही नहीं अपितु शिक्षित संस्कारवान एवं आत्मनिर्भर समाज व राष्ट्र का निर्माण करना है |
इस तरह आरोग्य साधना आश्रम बच्चो में शिक्षा एवं संस्कार ही नही उन्हें एक अच्छा मानव बनने की प्रेरणा देता है ताकि वे अपना जीवन अच्छे से जी सके और अपने सारे दायित्वों का निर्वहन अच्छे से कर सके |